श्रीमद् वाल्मिकी रामायण - कथा-सुधा-सागर | VALMIKI RAMAYAN KATHA SUDHA SAGAR HINDI BOOK PDF DOWNLOAD

Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Hindi Book PDF Download

Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Hindi Book Pdf Download

Short Description Of The Book:

In Indian literature, Srimad Valmiki's Ramayana is renowned as the first poem. This great original poem has influenced not only Indian literature but the literature of the whole world. It is the subject of various Ramayanas of India and most of the poems, plays, champoos, legends, legends etc.

 Maharshi Valmiki composed the Ramayana by knowing the story of Sri Rama from the Vedas, Upanishads and the teachings of Devarshi Naradaji and by directly experiencing all the characters of the Ramayana with the wisdom of Ritambhara generated by Samadhi. He was a contemporary of Rama, a Maharshi, so the plot is based on true events. That is why the unique popularity of the Ramayana not only continued intact but grew for centuries; Because the unique power of attracting the human heart that exists in the story of Rama is rare elsewhere. In the eyes of Indian sages, the stories of Rama and Krishna are not merely rhetorical or throat-sucking, they are uniquely peaceful, devotional and liberating. That is why they are popular.

 The Ramayana of Sri Valmiki is the credit for this widespread and popular story of Rama. In the history of world literature, there has hardly been a poet who has influenced later literature so widely as the original poet of India.

 It is said that Ramacharitra is extended in hundreds of millions (one billion) verses, i.e. immense and each of its letters has the capacity to destroy great sins.......

पुस्तक का संक्षिप्त विवरण:

भारतीय वाड्मयमें श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण आदिकाव्यके रूपमें प्रतिष्ठित है । इस महामहनीय आदिकाव्यने भारतीय वाड्मयको ही नहीं अपितु सारे संसारके वाड्मयको प्रभावित किया है । भारतके विविध रामायण एवं अधिकांश काव्य, नाटक, चम्पू, आख्यान, आख्यायिका आदिका उपजीव्य यह रामायण ही है ।

महर्षि वाल्मीकिजीने अपौरुषेय वेदों, उपनिषदों तथा देवर्षि नारदजीके उपदेशोंसे श्रीरामकी कथावस्तु जानकर एवं समाधिजनित ऋतम्भराप्रज्ञासे रामायणके सम्पूर्ण चरित्रोंका प्रत्यक्ष साक्षात्कार कर रामायणकी रचना की । वे रामके समकालीन महर्षि थे, अत: इसमें वर्णित कथावस्तु सत्य घटनाके अन्तर्गत है । इसीलिये रामायणकी अद्वितीय लोकप्रियता निरन्तर अक्षुण्ण ही नहीं वरन् शताब्दियोंतक बढ़ती रही; क्योंकि मानव-हृदयको आकर्षित करनेकी अद्वितीय शक्ति जो रामकथामें विद्यमान है वह अन्यत्र दुर्लभ है । भारतीय मनीषियोंकी दृष्टिमें राम और कृष्णकी कथाएँ केवल वाग्विलास या कण्ठशोषण मात्र नहीं हैं, वे अनुपम शान्ति, भक्ति तथा मुक्ति देनेवाली हैं । इसी कारण उनकी लोकप्रियता है ।

रामकथाकी इस व्यापकता एवं लोकप्रियताका श्रेय श्रीवाल्मीकीय रामायणको ही है । विश्व साहित्यके इतिहासमें शायद ही किसी ऐसे कविका प्रादुर्भाव हुआ है जिसने भारतके आदिकविके समान इतने व्यापक रूपसे परवर्ती साहित्यको प्रभावित किया हो ।

कहा जाता है कि रामचरित्र शतकोटि (एक अरब) श्लोकोंमें विस्तृत है, अर्थात् अपार है और उसके एक-एक अक्षरमें महापातकोंके विनाशकी क्षमता है-

'चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ।।'

रामचरित्रके प्रत्येक अक्षरमें महापातकोंके विनष्ट करनेकी शक्ति निहित है । ' राम अनन्त अनन्त गुन अनन्त कथा विस्तार ' श्रीरामजीके अनन्त गुण हैं और उनकी कथाका विस्तार भी अनन्त है । संसारमें रामसे बढ़कर सत्यमार्गपर आरूढ़ कोई दूसरा है ही नहीं- 'नहि रामात् परी लोके विद्यते सत्पथे स्थित:' ।

रामके इस शतकोटिप्रविस्तर चरितका सार चौबीस सहस्र श्लोकोंमें महर्षि वाल्मीकिने अपने रामायणमें निबद्ध किया है । इसके पाठ एवं स्वाध्यायका अत्यधिक महत्त्व अपने शास्त्रोंमें बताया गया है । गीताप्रेसद्वारा पूर्वमें सम्पूर्ण वाल्मीकीयरामायण सानुवाद तथा मूलरूपसे प्रकाशित हुआ है । परंतु सर्वसाधारणको वाल्मीकीयरामायणकी कथासे अल्पकालमें परिचित होनेके लिये ' श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण कथा-सुधा-सागर ' पुस्तकका प्रकाशन किया जा रहा है, जिसमें वाल्मीकीय-रामायणका कथासार पूर्णरूपसे प्रस्तुत है । अवधनिवासी राम-कथाके मर्मज्ञ विद्वान् पं० श्रीकृपाशंकरजी रामायणीने कुछ दिनों पूर्व नैमिषारण्यमें वाल्मीकीय रामायणकी नौ दिनोंमें कथा सम्पन्न की थी । इस सम्पूर्ण कथाको लिपिबद्ध कर लिया गया तथा पूज्य महाराजजीने कृपापूर्वक अपने परिश्रमसे संशोधन, परिवर्धन करके वाल्मीकीय रामायणकी पूरी कथाका सारांश इस पुस्तकमें निबद्ध किया है, जिसे यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है । इस पुस्तककी मुख्य विशेषता है कि मूल श्लोकोंके साथ कथाकी प्रस्तुति की गयी है, जिससे पाठकोंको रामकथाके आस्वादनके साथ-साथ महर्षि वाल्मीकिकी पवित्र वाणीका भी सान्निध्य प्राप्त दागा । आशा है पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे ।

Details of Book :-

Particulars

Details (Size, Writer, Dialect, Pages)

Name of Book:Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar
Author:Acharya Kripashankar Ramayani
Total pages:534
Language: Hindi
Size:51 ~ MB


Name of the Book is : Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar | This Book is written by Acharya Kripashankar Ramayani | The size of this book is 51 MB | This Book has 534 Pages | The Download link of the book "Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar " is given Below, you can downlaod Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar from the below link for free.



हमारी वेबसाइट से जुड़ें =
FacebookFollow Us 
TwitterFollow Us
TelegramJoin Our Channel 
InstagramFollow Us
YouTube चैनलSubscribe Us

About Hindibook.in

Hindibook.In Is A Book Website Where You Can Download All Hindi Books In PDF Format.

If You Are Desperate To Read Any Kind Of Hindi Book Then Visit Hindibook.In Website And Download Hindi Book On Any Topic In Pdf Format.
Note : The Above Text Is Machine Typing, Errors Are Possible In It, So It Should Not Be Considered A Part Of The Book

If There Is Any Error In The Description Of This Book Or You Have Any Suggestion Or Complaint Related To This Book, Then You Can Inform Us In That Regard.

Keywords: Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Hindi Book Pdf, Hindi Book Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Pdf Download, Hindi Book Free Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar, Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Hindi Book Pdf, Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Hindi Book Pdf Free Download, Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Hindi E-book Pdf, Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Hindi Ebook Pdf Free, Valmiki Ramayan Katha Sudha Sagar Hindi Books Pdf Free Download
@HareKrishna

Post a Comment

Previous Post Next Post